हावड़ा ब्रिज का नाम जेहन में आते ही कोलकाता का ख्याल आता है। यह ब्रिज कोलकाता शहर की पहचान है। ब्रिटिश राज की याद दिलाने वाला यह पुल अपने आप में ऐतिहासिक धरोहर है।
वर्ष 1943 में फरवरी को इस पुल को आम लोगों के लिए शुरू कर दिया गया था।
हालांकि इसका निर्माण शुरू हुआ था वर्ष 1939 में।
इससे पहले हुगली नदी हावड़ा और कोलकाता को जोड़ने के लिए तैरता हुआ पुल था।
हावड़ा ब्रिज जब बनकर तैयार हुआ तो इसका नाम रखा गया था, न्यू हावड़ा ब्रिज।
बाद में 14 जून 1965 को गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर इसका नाम रवींद्र सेतु कर दिया गया। हालांकि, बहुत लोग इसके बारे में जानते हैं।
इस पुल पर रोजाना एक लाख से अधिक वाहन गुजरते हैं।
हावड़ा ब्रिज में इस्तेमाल किया गया अधिकतर इस्पात भारत में बना था। इसको बनाने में 26,500 टन इस्पात लगा था और लागत आई थी 333 करोड़ रुपए।
इस ब्रिज ने न केवल आमजनों, बल्कि कई फिल्मकारों को भी प्रभावित किया है। फिल्मकार शक्ति सामन्त ने एक फिल्म बनाई। नाम था हावड़ा ब्रिज।